प्रो सोनाराम बिश्नोई स्मृति व्याख्यानमाला एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह आयोजित

प्रोफेसर सोनाराम बिश्नोई फाउंडेशन द्वारा,राजस्थानी विभाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और साहित्यकार प्रो सोनाराम बिश्नोई की स्मृति में व्याख्यामाला और उन पर लिखे स्मृति ग्रन्थ के लोकार्पण का आयोजन महावीर कॉम्प्लेक्स सरदारपुरा जोधपुर में हुआ

WhatsApp Image 2025-11-21 at 10.45.22 PM-jb5nqPeGMO.jpg

प्रोफेसर सोनाराम बिश्नोई फाउंडेशन द्वारा,राजस्थानी विभाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और साहित्यकार प्रो सोनाराम बिश्नोई की स्मृति में व्याख्यामाला और उन पर लिखे स्मृति ग्रन्थ के लोकार्पण का आयोजन महावीर कॉम्प्लेक्स सरदारपुरा जोधपुर में हुआ। इस दौरान मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रख्यात राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अपने व्याख्यान में कहा कि हमें हमारी परंपराओं को समझते हुए आगे बढ़ना होगा। आंख मूंदकर चलने से नहीं बल्कि संभलकर चलने से ही राष्ट्र का विकास होता है। प्रत्येक सनातनी को अपने होने के अर्थ को समझते हुए धर्म के सच्चे स्वरूप को समझना होगा। आपने कहा कि जो इतिहास को भूल जाते हैं इतिहास उन्हें भुला देता है। हमें अपने अहंकार को एक तरफ रखते हुए भीतर उतरकर अपने स्वरूप को पहचानना होगा। इसके लिए हमें पश्चिम का अंधानुकरण छोड़ना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष अमित जानी ने कहा कि हमें हमारी सुरक्षा स्वयं करनी होगी। हम किसी के भरोसे नहीं रह सकते। अपनी शक्ति को पहचानते हुए धर्म के पथ पर त्याग की भावना से आगे बढ़ना होगा तभी हम राष्ट्र को सुरक्षित रख पाएंगे। 
स्वागत भाषण में वरिष्ठ साहित्यकार एवं स्मृति ग्रन्थ के संपादक सत्यदेव सवितेंद्र ने प्रोफेसर सोनाराम बिश्नोई से जुड़ी स्मृतियां साझा करते हुए "समय री सबली साख " स्मृति ग्रन्थ की यात्रा को साझा किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि और आलोचक डॉ आईदान सिंह भाटी, पूर्व IPS सवाई सिंह गोदारा, पूर्व कुलपति भंवर सिंह राजपुरोहित,राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पूर्व सांसद जसवंत सिंह बिश्नोई , नारायण राम डाबड़ी सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। प्रोफेसर सोनाराम बिश्नोई फाउंडेशन के अध्यक्ष समाजसेवी मानाराम बिश्नोई ने आभार प्रकट किया। मंच संचालन सहायक आचार्य डॉ चंद्रभान बिश्नोई ने किया।
आयोजन में राजस्थान भर के सैकड़ों राष्ट्र प्रेमी उपस्थित रहे।

0
Author
Rajendra Harsh
Author
Rajendra Harsh

Write a Response