केरू पंचायत समिति के चौखा पंचायत में टूटा जनता का सब्र—

चौखा ग्राम पंचायत में फैले कथित भ्रष्टाचार ने लोगों की उम्मीदें तोड़ दी हैं। ग्राम विकास अधिकारी कुम्भाराम पर लगे गंभीर आरोपों ने ग्रामीणों के जीवन में अंधेरा भर दिया है, और सबसे दुखद यह है कि 60 दिन बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई

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केरू पंचायत समिति के चौखा पंचायत में टूटा जनता का सब्र, 60 दिन बाद भी कार्रवाई का इंतज़ार जारी

जोधपुर के केरू पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली चौखा ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर इन दिनों गहरी नाराज़गी और असंतोष की आग में जल रही है। ग्रामीणों द्वारा ग्राम विकास अधिकारी कुम्भाराम के खिलाफ लगाए गए आरोपों को दो महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया मिली है। इस लापरवाही ने ग्रामीणों के विश्वास को गहरा आघात पहुंचाया है।

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में कार्यों की अनियमितता, धन के दुरुपयोग और विकास के नाम पर की गई कथित अनियमितताओं ने उनकी उम्मीदों को तोड़कर रख दिया है। शिकायतें देने के बावजूद केरू बीडीओ गिरधारीराम द्वारा किसी भी कार्रवाई न करना लोगों में प्रशासन के प्रति निराशा और क्रोध दोनों बढ़ा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार इंतज़ार करने के बावजूद अधिकारियों की चुप्पी समझ से परे है।

महिलाओं ने बताया कि वे कई बार अपनी समस्याएं लेकर अधिकारियों तक पहुंचीं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला, समाधान नहीं। युवाओं ने आरोप लगाया कि गांव का विकास बजट कागज़ों में तो दिखता है, लेकिन ज़मीन पर नहीं। वृद्धजनों ने भी कहा कि वे न्याय की आस में रोज़ अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, मगर कोई सुनवाई नहीं है।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं उन्हें तुरंत प्रभाव से हटाया जाए, ताकि जांच निष्पक्ष रूप से हो सके। ग्रामीणों का कहना है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ सर्वोपरि होनी चाहिए, लेकिन यहां उनकी आवाज़ दबाई जा रही है।

लोगों का धैर्य अब टूट चुका है, और प्रशासनिक उदासीनता के कारण स्थिति और गंभीर होती जा रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। गांव न्याय की राह देख रहा है और उम्मीद कर रहा है कि सरकार उनकी पीड़ा और आक्रोश को समझते हुए समय पर कार्रवाई करेगी।

 
 
 
 
 
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Author
Rajendra Harsh
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