न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग सेवानिवृत्त

 राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश एवं किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग  विधिवत रूप से सेवानिवृत्त हो गए।

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न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग सेवानिवृत्त — विदाई समारोह में छलके भावनाएं, अदालत परिसर में रहा भावुक माहौल
(दैनिक पर्यटन बाज़ार)
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश एवं किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग  विधिवत रूप से सेवानिवृत्त हो गए। विगत तीन दिनों से ही उनके चेंबर और कोर्ट में शुभकामनाएं देने वाले अधिवक्ताओं, न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों और न्यायालय से जुड़े लोगों का तांता लगा रहा।  कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा एवं उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की उपस्थिति में आयोजित भव्य विदाई समारोह में भावनात्मक वातावरण देखने को मिला।
अधिवक्ताओं एवं न्यायिक परिवार के बीच लोकप्रिय न्यायमूर्ति गर्ग की विदाई के अवसर पर कई लोगों की आंखें नम हो उठीं।

कठोर अनुशासन और सरल व्यक्तित्व के धनी

न्यायमूर्ति गर्ग का जन्म श्रीगंगानगर जिले के करणपुर में हुआ। दसवीं कक्षा तक की शिक्षा उन्होंने गांव में ही प्राप्त की। उनके पिता स्वर्गीय मुन्नीलाल गर्ग श्रीगंगानगर और करणपुर में विधिक सेवाएं देने के बाद जोधपुर उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। पिता की प्रेरणा से ही गर्ग ने अधिवक्ता बनने का निर्णय लिया और अपनी लगन व योग्यता के बल पर वे जल्द ही प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं की श्रेणी में शामिल हो गए।
वे राजस्थान बार काउंसिल के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए, जहां उनके कार्यकाल की व्यापक सराहना की गई।

16 मई 2017 को उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई गई। न्यायिक कार्यों में उनकी गहरी समझ, संवेदनशीलता और त्वरित निर्णय क्षमता के कारण वे शीघ्र ही न्यायिक समुदाय में एक विशिष्ट पहचान बना चुके थे।

किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष के रूप में उल्लेखनीय उपलब्धियां

मार्च 2024 में उन्हें किशोर न्याय समिति, राजस्थान उच्च न्यायालय का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने बाल संरक्षण के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और प्रभावी कदम उठाए—

सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विजय बिश्नोई द्वारा शुरू किए गए कार्यों को आगे बढ़ाते हुए समिति को नए आयाम दिए।

जोधपुर में बाल परामर्श एवं कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र में अनेक नवीन पाठ्यक्रम शुरू करवाए, जिससे संघर्षरत एवं संरक्षित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल हुई।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्वर्णप्राशन कार्यक्रम को बाल गृहों एवं स्कूलों से जोड़कर बच्चों के स्वास्थ्य संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की।

बाल संरक्षण, महिला सुरक्षा, विशेष विद्यालयों एवं बालिका विद्यालयों से जुड़े मामलों का सूक्ष्म निरीक्षण कर अनेक सुधारात्मक निर्देश जारी किए।

राज्यभर के बाल संरक्षण संस्थानों, मानसिक विमंदित गृहों एवं विशेष विद्यालयों का निरीक्षण कर त्वरित सुधार सुनिश्चित कराए।संवेदनशील मामलों में मानवीय पहल

जोधपुर में ढाई वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना की जानकारी मिलने पर न्यायमूर्ति गर्ग स्वयं अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बच्ची के स्वास्थ्य की जानकारी चिकित्सकों से ली और भामाशाहों के सहयोग से बच्ची तथा उसके परिवार के लिए तत्काल आवास एवं भोजन की व्यवस्था करवाई।
उन्होंने पुलिस को शीघ्र चालान पेश करने के निर्देश दिए तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से पीड़ित प्रतिकर राशि दिलवाई। उनके निर्देशों पर राजस्थान पुलिस ने बालिकाओं के लिए सेल्फ डिफेंस प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए।

राज्यभर में सक्रियता और त्वरित न्याय का प्रयास

अवकाश के दिनों में भी न्यायमूर्ति गर्ग ने राजस्थान के 24 जिलों का दौरा कर बाल संरक्षण एवं महिला सुरक्षा की वास्तविक स्थिति का आकलन किया।
उन्होंने—पोक्सो मामलों,CICL (संघर्षरत बच्चों) के न्यायिक प्रकरणों,और लंबित मामलों के निस्तारण
की निरंतर समीक्षा कर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।उनके प्रयास से राजस्थान उच्च न्यायालय में बाल सचिवालय का बैंक खाता भी शुरू किया गया, जिसमें विभिन्न मामलों में लगाई गई कास्ट की राशि जमा होनी शुरू हुई। उन्होंने व्यक्तिगत एवं संस्थागत योगदान को भी प्रोत्साहित किया, जिससे बाल संरक्षण हेतु अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध हो सकें।

विदाई में उमड़ा स्नेह

सदैव सरल, सहृदय और संवेदनशील स्वभाव के कारण न्यायमूर्ति गर्ग अधिवक्ताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों के मध्य विशेष रूप से लोकप्रिय रहे। विदाई समारोह में न्यायिक समुदाय एवं अधिवक्ताओं द्वारा उनके योगदान को हृदय से सराहा गया।
उपस्थित सभी के चेहरों पर भावुकता साफ दिखाई दे रही थी, और वातावरण भावनाओं से भर गया।

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Author
Rajendra Harsh
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