जोधपुर। शहर इन दिनों कचरे के ढेरों के बीच सांस लेने को मजबूर है।

जोधपुर। शहर इन दिनों कचरे के ढेरों के बीच सांस लेने को मजबूर है। नगर निगम की लापरवाही और लगातार उदासीन रवैये के कारण सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। 

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जोधपुर। शहर इन दिनों कचरे के ढेरों के बीच सांस लेने को मजबूर है। नगर निगम की लापरवाही और लगातार उदासीन रवैये के कारण सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। हालात यह हैं कि हर मोहल्ले, हर चौक-चौराहे पर कचरे की बदबू और गंदगी ने वातावरण को दूषित कर दिया है। नागरिकों का कहना है कि निगम कार्यालय में शिकायत करने पर केवल एक ही जवाब मिलता है—“कर्मचारियों का स्थानांतरण हुआ है, व्यवस्था संभलने में अभी 5–7 दिन और लगेंगे।” लेकिन सवाल यह है कि इन दिनों में शहर का क्या? गंदगी से जूझ रहे लोगों की जिम्मेदारी कौन लेगा? चार दिनों से हालात बदतर
पूरा मोहल्ला, कल्लो की गली, भजन चौकी, कबूतरों का चौक, नवचौकिया, गुंदी का मोहल्ला, फतेह पोल सहित जोधपुर के कई इलाकों में कचरे के ढेर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सड़क किनारे जमा कचरा न सिर्फ बदबू फैला रहा है, बल्कि मच्छरों और संक्रमण का खतरा भी तेजी से बढ़ा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले चार दिनों से यहां कोई सफाईकर्मी नहीं आया। कचरा उठाने की गाड़ी भी इन क्षेत्रों से गायब है। रोजमर्रा की जिंदगी गंदगी के बीच गुजर रही है।
संक्रमण की आशंका, प्रशासन जवाबदेही से बचता दिखा
सफाई व्यवस्था की इस बदहाली से बीमारी फैलने का खतरा गंभीर रूप ले चुका है। परंतु नगर निगम प्रशासन अभी भी “कर्मचारियों के स्थानांतरण” जैसे बहानों के पीछे छिपता नजर आ रहा है।
नागरिक सवाल उठा रहे हैं—“अगर गंदगी से बीमारी फैलती है, तो क्या उसकी जिम्मेदारी नगर निगम लेगा?”
स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराना नगर निगम का मूल दायित्व है। यह केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा मामला है।
तत्काल कार्रवाई की मांग
क्षेत्रवासियों ने नगर निगम प्रशासन से मांग की है कि सफाई व्यवस्था को तुरंत सुचारू किया जाए, अतिरिक्त टीम तैनात की जाए और कचरा निस्तारण की प्रक्रिया में देरी न हो। नागरिकों ने स्पष्ट कहा है कि ऐसी लापरवाही किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
शहर को राहत तभी मिलेगी जब प्रशासन कागज़ी बयानबाज़ी छोड़कर जमीन पर कार्रवाई करेगा।

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Author
Rajendra Harsh
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