40 घण्टे के मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

जोधपुर, 17 नवंबर। मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति, सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के तत्वाधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी, जोधपुर में प्रदेश की स्थाई लोक अदालतों के अध्यक्ष एवं सदस्यों हेतु  17  से 21 नवम्बर तक 40 घण्टे के मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

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जोधपुर, 17 नवंबर। मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति, सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के तत्वाधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी, जोधपुर में प्रदेश की स्थाई लोक अदालतों के अध्यक्ष एवं सदस्यों हेतु  17  से 21 नवम्बर तक 40 घण्टे के मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

इस मध्यस्थता कार्यक्रम का शुभारम्भ सोमवार को माननीय न्यायाधिपति श्री संजीव प्रकाश शर्मा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रेरणा से माननीय न्यायाधिपति डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी एवं अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जोधपुर के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस दौरान माननीय न्यायाधिपति श्री विनीत कुमार माथुर, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं सह-अध्यक्ष, राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी, जोधपुर, माननीय न्यायाधिपति श्री इन्द्रजीत सिंह, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जयपुर, श्री हरिओम अत्री, सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, श्री अजय शर्मा, जिला एवं सेशन न्यायाधीश, जोधपुर महानगर, श्री दिनेश कुमार त्यागी, निदेशक, राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी, जोधपुर, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी के अधिकारीगण, प्रशिक्षकगण श्री नीरज कुमार भारद्वाज (RIS), श्री के. के. मखीजा, श्रीमती प्रमिला आचार्य तथा श्रीमती पूनम मेन्दीरत्ता एवं प्रतिभागीगण उपस्थित रहे।

स्थाई लोक अदालतें उन क्षेत्रों में कार्य करतीं हैं, जिनमें सार्वजनिक लोक उपयोगी सेवाएं आती है जैसे बिजली, पानी, डाक, टेलीफोन, बीमा, परिवहन आदि। इन सेवाओं से आम नागरिक जुड़ा हुआ है। इस संबंध में श्री हरिओम अत्री, सदस्य सचिव, रालसा के द्वारा 90 दिवसीय विशेष अभियान न्याय आपके द्वारः लोक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित समस्याओं का सुलभ एवं त्वरित समाधान' पर प्रकाश डाला। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जन उपयोगी सेवाओं के संबंध में आम जन एवं विभागों के मध्य उत्पन्न हुई समस्याओं का समझाइश के माध्यम से निराकरण करना है। जिससे न केवल आमजन के समय एवं धन की बचत होगी बल्कि न्यायालयों पर बढ़ रहे अनावश्यक मुकदमों का भार भी कम होगा।

इस संबंध में 40 घण्टे का मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम न्याय को जन-सामान्य तक पहुंचाने की दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है। मध्यस्थता केवल विवाद सुलझाने की विधि नहीं है बल्कि संवाद, समझदारी, सहानुभूति और समाधान की कला है।

स्थाई लोक अदालत की कार्यप्रणाली में मध्यस्थता प्रथम चरण है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागीगण को मध्यस्थता के सिद्धान्त, वार्ता एवं समझौते की तकनीक, गोपनीयता, निष्पक्षता एवं तटस्थता के मानक आदि केस स्टडी एवं रोल प्ले के माध्यम से सिखाए जाने के प्रयास किये जाएंगे। मध्यस्थता प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत निश्चितरूप से सभी प्रतिभागीगण की कार्यकुशलता में बढ़ोतरी होगी एवं प्रकरणों के निस्तारण में वृद्धि होगी तथा स्थाई लोक अदालत एवं मध्यस्थता के माध्यम से न्याय को सरल, सुलभएवं संवदेनशील बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे।

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Author
Rajendra Harsh
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